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VIVEKANAND BAL UNNMUKH VIDYALAYA

 

DAILY ASSEMBLY PROGRAMME 

 

  (I) SCHOOL ANTHEM

                                                                                                       Tu hi Ram hai, Tu Rahim hai, Tu Kareem Krishna Khuda hua    x2
Tu hai vaahey guru, Tu Yasu Masi, Prati naam mein, Samaa rahaa    x2
Tu hi Ram hai

Teri jaat baat, Quran mein, Tera darsh Ved Puraan mein    x2
Gurugranth ji, Ke bayaan mein, Tu prakash apna, Dikhaa rahaa    x2
Tu hi Ram hai

Kahi vaaj hai, Kahi kirtana, Kahi Ram dhun, Kahi avahan    x2
Vidhi Ved se, Hai ye sab rachan, Tera bhakt tujko bulaa rahaa    x2
Tu hi Ram hai

Tu hi dhyaan mein, Tu hi gyaan mein, Tu hi praaniyo ke praan mein    x2
Kahi aasuo, mein bahaa tu hi, Kahi phool ban ke, Khilaa huaa    x2

Tu hi Ram hai, Tu Rahim hai, Tu Kareem Krishna Khuda hua
Tu hai vaahey guru, Tu Yasu Masi, Prati naam mein, Samaa rahaa
Tu hi Ram hai
Tu hi Ram hai

 

                  (II) INDIAN  CONSTITUTION

 

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा

उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा

इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं

    


                      (III) NATIONAL SONG

                              

वन्दे मातरम्।
सुजलाम् सुफलाम्
मलयज शीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।
वन्दे मातरम्।

शुभ्रज्योत्स्ना
पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित
द्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीम्
सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम् वरदाम्
मातरम्।।
वन्दे मातरम्।

 

  PRAYER


त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव ।
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥

 

क्रोध से  भ्रम  पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.   --  श्रीमद्भगवद्गीता

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